Saturday, March 20, 2010

कश्‍मीरी समाज में बढ़ता आत्मविश्‍वास

आन्तरिक सुरक्षा हो या समाज की नई परिकल्पना दोनो ही परिप्रेक्ष्य में कश्‍मीर हमेशा से तत्परता दिखाई है। कश्‍मीरी समाज में ऐसी कल्पनाएं की जा सकती है जहां सीखने की चाहत दिखायी देती हो। समाज का दर्द न तो सरकार समझने की कोशिश करती है और न ही हमारे देश के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया दोनों ही ज्वलंत मुद्वों को प्रमुखता देते हैं। समाज में हो रहे बदलावों और समस्याओं को दरकिनार करने की कोशिश करते हैं।
बदलाव परि‍र्त्तन का नियम माना जाता है। बदलाव से ही जीवन के नये स्त्रोत का उजागर होता है। नई राह के लिये उन्हौने चरखा कार्यशाला में शामिल होने की इच्छा जाहिर की।
कुपवाड़ा से 12 किलोमीटर दूर कुनन गांव है जहां हेल्प फाउंडेशन की मदद से उनके रोजमर्रा के जीवन में बदलाव आया है। नूरजान से मुलाकात के दौरान उन्हौने अपने बारे में बताया। फाउंडेशन के द्वारा उन्हे एक गाय दी गई है जिसकी कमाई से उनके बच्चे अब स्कूल जाने लगे हैं।

उसी गांव की एक बुजुर्ग महिला, जिनका नाम शाह माल है उन्हौन कश्‍मीरी भाषा में बात करने के दौरान बताया कि हमेंऔरो की तरह मदद नही मिल रही है और हम चाहते है कि आप मेरी बातों को वहां तक पहुंचा दे।
हेल्प फांउडेशन के चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटि के सदस्य अब्दुल अहद दर से मिलने पर मैने अपने कार्यशाला में महिलाओं की भागीदारी करने को कहा तो उन्हौने महिलाओं के बारे में आपबीति बतायी। अन्तत: वे हमारे काम को सराहते हुए मदद करने को भी तैयार हुए।

इस फाउंडेशन की मदद से वहां की काफी लड़कियों को फायदा हुआ है। ये सारी लड़कियां 10वीं करने के बाद सेब के बगीचे में पत्ते बिनने का काम करती थी। अब इनके सहयोग से ये सिलाई और कढ़ाई का काफी काम सीख चुकी है। ताकि वे आगे काम कर सके।
इस सिलाई सेंटर में लगभग 20 लड़कियों को सिलाई का काम निशुल्‍क में सिखाया जाता है और उनसे किसी भी प्रकार का शुल्क नही लिया जाता है। तथा वे उनके लिए काम ढ़ूढ़ते हैं ताकि वे अपने काम में परिपक्व हो सके। वे मुख्य रूप से स्कूल के ड्रेस, फिरन और दूसरे अन्य वस्त्र भी सिलते हैं।
हेल्प फांउडेशन के अध्यापकों की टीम जो अपने दो स्कूल चला रहे हैं और लोगों के लिए शिक्षा देते हैं और शिक्षा का प्रसार करते हैं। चरखा की टीम उनसे मिलने के बाद अपने सदस्यों को कार्यशाला में भाग लेने का आग्रह किया ताकि वे अपने क्षेत्र के बारे में लिख सके।
कुपवाड़ा से 25 किलोमीटर दूर हंदवाड़ा एक छोटा सा शहर है। यह ट्रस्ट जम्मू एण्ड कश्‍मीर यतीम ट्रस्ट के द्वारा चलाया जा रहा है। इस यूनिट का नाम गुलिस्ताने बनात है। इस यूनिट की देखभाल जी ए कुमार करते हैं। इस यूनिट में 30 लड़कियां है जो यतीम हैं और इसकी तालीम विभिन्न स्कूलों में होती है। यह तालीम स्कूल के सहयोग से ही सम्भव हो सका है जो कोई भी शुल्क नही लेते हैं। कुमार बतातें हैं कि अभी सिर्फ 8वीं तक की शिक्षा हम देते हैं। आगे की पढ़ाई के लिए मेरे पास कोई साधन नही है।
उन्हे देखने के बाद ऐसा लगा कि वे अपने घरों में ही रह रहे हैं और वहां एकदम खुशनुमा माहौल भी देखने को मिला। उनके लिए सारी सुख सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है। उनके विचार भी औरों से मिलते जुलते थे। कुमार को वेलोग अब्बा कहकर बुलाते हैं।
17 नवम्बर से 19 नवम्बर 09 तक कुपवाड़ा शहर में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें शरहदी इलाके के 30 लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में ऐसे तमाम मुद्वों को बताने की कोशिश की गई जो उनके जीवन को प्रभावित करता हो। कार्यशाला में दीवार अखबार के बारे में भी बताया गया।
रूरल रिसोर्स सेन्टर (हेल्प फांउडेशन का कार्यालय) खोलने का निर्णय लिया गया है। इस सेंटर का उपयोग ग्रामीणों को दिये जा रहे योजनाओं और कुछ महत्तवपूर्ण सूचनाओं के लिए होगा ताकि इसे यह सूचना प्राप्त करने के लिए सरकारी दफ्तर न जाना पड़े।
मुख्य शिक्षा अधिकारी से मिलने पर उन्हौने अपनी योजनाओं के बारे में बताया। बातचीत के दौरान उन्हौने हमारी पहल की सराहनीय करते हुए कहा कि ये सारी योजनाएं गांवों तक नहीं पहुंच पाते हैं। हम आपके सेंटर के जरिये ऐसी योजनाओं को गांवों तक जरूर पहुंचाने की कोशिश करेंगें।