Tuesday, November 1, 2011

नई व्यवस्था और नये समाज का निर्माण

http://www.charkha.org/newsletter/datanov09/hindicontent02nov09.html

आज नये समाज का निर्माण करना बेशक एक नई चुनौती बन गई है। व्यवस्थाओं के अनुरूप सामाजिक परिवेश की कल्पना करना भी मुमकिन नही लगता है और प्राकृतिक आपदाओं के बाद तो हमारे समाज का स्वरूप ही बदल जाता है। तब हमारी कोशिश ऐसे समाज के निर्माण करने की होती है जहां मूलभूत सुविधाओं से लेकर उनके मौलिक अधिकार तक का हनन होता है। ऐसी सुविधाएं सरकार देती तो है परन्तु उनके सूचनाओं को संचारित नही करती है। यहीं से उनके जीवन की व्यथा शुरू होती है।

चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क ने बिहार के दरभंगा में एक कार्यशाला का आयोजन 14 जुलाई से 18 जुलाई 09 को बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में आयोजित की। इस कार्यशाला में दरभंगा और सीतामढ़ी के लोगों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्वेश्‍य बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में संचार माध्यम को बढ़ावा देना था ताकि वे अपने मुद्वों को अखबार के जरिये जनमानस और सरकार तक पहुंचा सके।

बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों के विशेषज्ञों में से एक श्री एम वी वर्मा से विचार विमर्श के दौरान वहां के जमीनी हकीकतों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। उसके अनुसार जमीन और पानी वहां की सबसे बड़ी समस्या है। चरखा के कार्यों को सराहनीय बताते हुए कहा कि ऐसे कार्य उनके जीवन को बदलने में मददगार साबित होगी।
    नेपाल से सटा हुआ बसविट्टा इलाका सीतामढ़ी के सोनवर्षा ब्लॉक में स्थित है। इसकी सबसे बड़ी परेशानी बाढ़ के समय होती है। जब नेपाल से धीरे धीरे पानी छोड़ा जाता है। तराई क्षेत्र होने की वजह से कुछ दिनों तक पानी का जलजमाव भी रहता है।
    एम आर एम महाविद्यालय के छात्रों से मिलने पर सामाजिक परिवेश के बारे में बात की गई। मुद्वे और समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए जमीनी मुद्वे क्या हो सकते हैं। इस बारे में चर्चा की गई और वहां के प्राध्यापक विद्यानाथ झा ने एक कार्यशाला का आयोजन अपने महाविद्यालय में करने का आग्रह भी किया।
    सीतामढ़ी में स्थित महिला समाख्या केन्द्र मुख्य रूप से महिला सशाक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए काम करती है। यह केन्द्र चरखा द्वारा आयोजित कार्यशाला में भाग लेकर उनमें और बेहतर करने की इच्छा जाहिर की।
    दरभंगा से 25 किलोमीटर दूर केवटी ब्लॉक में यह पैगम्बरपुर गांव है जहां एक छोटा सा सिलाई केन्द्र एक संस्था के सहयोग से चलाया जा रहा है। यह सिलाई केन्द्र गांव के ही निर्धन महिलाओं और युवतियों के लिए है जो आगे चलकर अपनी रोजी रोटी के लिए अपने पांव पर खुद खड़ी हो सके।
    पैगम्बरपुर गांव में ही कुछ युवतियों से बात करने के पश्‍चात अपने भाव व्यक्त किए। उनमें से सारी लड़कियां 8वीं पास है क्योंकि गरीबी और पैसा न होने की वजह से वे आगे की पढ़ाई नही कर पाती है। अखबार के महत्तव को समझने के बाद उन्हौने आगे पढ़ने की इच्छा जतायी।
    सीतामढ़ी के कुछ ग्रामीण लेखकों से मिलने के बाद सामाजिक परिप्रेक्ष्य में चर्चा की गई। सामाजिक मुद्वे और समस्याओं को समझने के बाद लेखन पर जोर दिया गया ताकि ग्रामीण समस्याओं को सभी लोग समझ सके।
    सीतामढ़ी से 15 किलोमीटर दूर रामपुर गंगोली में संजीव कुमार के द्वारा एक वॉल पेपर की शुरूआत की गई। इसके साथ साथ एक रूरल रिसोर्स सेन्टर स्थापित करने की मांग की गई जिससे कि हर तरह की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का काम कर सके।
जापान से आये प्रतिनिधि ताकाहीरो नीरो ने सीतामढ़ी और दरभंगा का जायजा लिया। बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में उनके जीवनशैली को देखने और परखने के बाद उन्हौन इनके जज्बों को सलाम किया।

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